उ0प्र0 पब्लिक हेल्थ इंजीनिरिंग बोर्ड बनने को तैयार |
एम जी न्यूज़ नेटवर्क : लखनऊ :
उत्तर प्रदेश में जलीय (सीवर एवं पेयजल) से संबन्धित कार्यों को किए जाने के कारण अपने अस्तित्व मे आने के वर्ष 1976 से अभी तक निरंतर उत्तर-प्रदेश जल निगम जिसका कि कुछ समय पूर्व दो भागों में विभाजन किया जा चुका है (1) उत्तर-प्रदेश जल निगम (नगरीय), (2) उत्तर-प्रदेश जल निगम (ग्रामीण), उत्तर प्रदेश मे पेयजल और सीवर से समबन्धित कार्यों को करने बाला एक महत्त्वपूर्ण विभाग रहा है जिसके कार्यों की प्रसंशा कई मौकों पर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों द्वारा भी की जा चुकी है |
आपको बता दें कि उत्तर-प्रदेश जल निगम अपने अस्तित्व मे आने के वर्ष 1976 से पूर्व स्वायत्त शासन अभियन्त्रण विभाग था जोकि पूर्ण रूप से राज्य सरकार का विभाग था और जो भी नियुक्तियाँ स्वायत्त शासन अभियन्त्रण विभाग मे हुईं थीं वह सभी पूर्णरूप से राज्य कर्मचारी/अधिकारी के रूप मे हुईं थी | किन्तु वर्ष 1976 मे स्वायत्त शासन अभियन्त्रण विभाग का नाम बदलकर उत्तर-प्रदेश जल निगम कर दिया गया और विभाग को निगम का दर्जा दे दिया गया |
स्वायत्त शासन अभियन्त्रण विभाग में नियुक्त अधिकारियों /कर्मचारियों के अनुसार विभाग को सन 1976 से अगले 30 वर्षों के लिए निगम बनाया गया था और 30 वर्षो के पश्चात निगम को पुनः बदलकर केंद्रीय विभाग (केंद्र सरकार के अधीन आने बाला विभाग) में परिवर्तित किया जाना था किन्तु 30 वर्ष बीत जाने के बाद तत्कालीन प्रदेश सरकार ने ऐसा नहीं किया |
बताया जाता है कि प्रदेश में पेयजल एवं सीवर के गुणवत्ता पूर्ण कार्य करने के बाद भी जल निगम पिछले कई वर्षों से लगातार घाटे मे चल रहा था जिस कारण पिछले कई वर्षों से सेवारत अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन और सेवानिवृत्त अधिकारियों/कर्मचारियों की पेंशन भी समय से नहीं मिल पा रही थी |
अभी कुछ समय पूर्व ही हुआ था दो भागों मे विभाजन
विभागीय खराब वित्तीय स्थिति और समय से वेतन और पैंशन को लेकर अभी कुछ समय पूर्व ही उत्तर-प्रदेश जल निगम का दो भागों में विभाजन हुआ था जिनमें से एक विभाग को ग्रामीण और दूसरे विभाग को शहरी पेयजल और सीवर की ज़िम्मेदारी दी गई थी ग्रामीण क्षेत्रों मे कार्य करने बाले विभाग का नाम उत्तर-प्रदेश जल निगम (ग्रामीण) और शहरी क्षेत्रों का कार्य करने बाले विभाग का नाम उत्तर-प्रदेश जल निगम (नगरीय) किया गया और नाम के आधार पर ही कार्यों का विभाजन किया गया |
विभाजन के पश्चात ग्रामीण और नगरीय दोनों मे एक से अधिक बार प्रबंध निदेशक बदले जा चुके हैं |
एक बार पुनः बदला जा सकता है उत्तर-प्रदेश जल निगम (नगरीय) का नाम |
सूत्रों से मिली खबर के अनुसार शासन की अपेक्षा के अनुसार उत्तर-प्रदेश जल निगम (नगरीय) की वर्तमान विधिक प्रास्थिति को देखते हुये एक बार पुनः उत्तर-प्रदेश जल निगम (नगरीय) का नाम बदला जा सकता है | अबकी बार जल निगम (नगरीय) का नाम बदलकर उ0प्र0 पब्लिक हेल्थ इंजीनिरिंग बोर्ड किया जा सकता है |
नाम बदलने को लेकर एक बैठक दिनांक 17 अगस्त 2023 को संयुक्त प्रबन्धक निदेशक (प्रसाशन) उत्तर-प्रदेश जल निगम (नगरीय) की अध्यक्षता मे आहूत की गई है जिसमें भाग लेने बालों से नाम बदलने को लेकर सुझाव और मत मांगें गए हैं |
विभाग से वेतन और पैंशन प्राप्त कर रहे कर्मचारियों/अधिकारियों के मन मे आशा है कि शायद इस बार नाम बदलने के बाद उनको उनकी पैंशन और वेतन समय से प्राप्त हो पाये |

